जल संरक्षण में पीछे रहा शिवराज का सीहोर, राज्य में 47वें स्थान पर
केंद्र सरकार के मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में जल संर्वधन अभियान में धीमी प्रगति, दो महीने बाद भी नहीं सुधरी रैंकिंग

सीहोर। जिले में जल संकट दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। शहरों से लेकर गांवों तक पानी की किल्लत आम हो गई है। जिले को पहले ही सूखा प्रभावित घोषित किया जा चुका है। ऐसे में सरकार द्वारा जल संरक्षण को लेकर शुरू किए गए ‘जल संर्वधन अभियान’ में सीहोर की स्थिति बेहद निराशाजनक बनी हुई है। प्रदेश में सीहोर की रैंकिंग 47वें स्थान पर है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जिले में जल संरक्षण के प्रयास विफल रहे हैं।
जल संर्वधन अभियान का उद्देश्य वर्षा जल का संरक्षण और प्राकृतिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार करना है। इसके तहत कुएं, बावड़ियां, नलकूप जैसे पुराने जल स्रोतों की सफाई, गहराईकरण और मरम्मत की जानी थी। साथ ही स्टॉप डैम, चेक डैम, फार्म पॉन्ड, डगवेल जैसी संरचनाएं बननी थीं। हालांकि, सीहोर जिले में इन कार्यों की शुरुआत तो हुई, लेकिन दो महीने बाद भी इन कार्यों में कोई विशेष प्रगति नहीं देखी गई है।
विशेष बात यह है कि यह जिला केंद्रीय कृषि मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है। अतीत में कई योजनाएं यहीं से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई थीं, लेकिन अब जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री नहीं हैं, तो ऐसा माना जा रहा है कि उसका असर इन योजनाओं पर पड़ रहा है।
30 मार्च से 30 जून तक चलने वाले इस अभियान में अब तक दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन सीहोर की रैंकिंग में सुधार नहीं हुआ है। पिछले सप्ताह सीहोर 50वें स्थान पर था, जबकि अब 47वें स्थान पर है। यह धीमी प्रगति प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
मनरेगा अधिकारी प्रमोद त्रिपाठी ने पत्रकारों को बताया कि “जिले में अभियान के तहत अच्छा कार्य हो रहा है। पुराने कार्यों को भी जल्द पूरा किया जाएगा और निर्धारित समय सीमा में लक्ष्य हासिल किया जाएगा।”
वहीं, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री ए.के. पंथी ने पत्रकारों को कहा कि “शुरुआती दिनों में अन्य जिलों ने तेज़ी से कार्य किया, लेकिन हमारी टीम भी कड़ी मेहनत कर रही है। हम लोगों को फार्म पॉन्ड निर्माण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आने वाले दिनों में सीहोर शीर्ष दस जिलों में शामिल होगा।”